Definition of Demand Economics in Hindi
Demand ( हिंदी में मांग )किसी वस्तु या सेवा की कुल मात्रा है जिसे लोग प्राप्त करना चाहते हैं।इसमें उन वस्तुओं और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिन्हें किसी विशिष्ट उपभोक्ता या उपभोक्ताओं के समूह द्वारा , उनकी आवश्यकताओं और इच्छाओं को पूरा करने के लिए, बाजार की कीमतों पर प्राप्त किया जा सकता है। ये वस्तुएं और सेवाएं लगभग सभी मानव उत्पाद जैसे कि भोजन, परिवहन, शिक्षा, अवकाश, चिकित्सा और बहुत कुछ शामिल कर सकती हैं।
जब हम डिमांड की बात करते हैं तो हमें निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए :
किसी भी वस्तु की मांग 5 वस्तुओं द्वारा निर्धारित होती है :
ऊपर दिए गए इन सभी कारकों में किसी वस्तु का मूल्य उसके मांग की सबसे महत्वूर्ण कारक है |किसी वस्तु के मूल्य में आने वाली बदलाव से उस वस्तु की मांग में कितने बदलाव आती है उसे ही Elasticity of Demand कही जाती है | मूल्य को ध्यान में रखते हुए मांग तीन प्रकार के हो सकते है :
Perfectly Elastic Demand : Perfectly Elastic Demand एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें मौजूदा कीमतों पर किसी वस्तु की मांग शून्य होते है लेकिन अगर वस्तु की कीमत में थोड़ी सी भी गिरावट आई तो वस्तु की मांग अनंत हो जाएगी | ऐसा असली दुनिया में देखने को नहीं मिलता लेकिन लेकिन यह केवल एक दृष्टिकोण प्रदान करता है |
Perfectly Inelastic Demand : Perfectly Inelastic Demand एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें किसी वस्तु की मांग उसके मूल्य के हिसाब से नहीं बदलती |
Elastic demand :: इसका मतलब है कि किसी वस्तु या सेवा की कीमत में थोड़ी सी भिन्नता से मांग अधिक अनुपात में बढ़ेगी । उदाहरण के लिए, अगर किसी कपडे की कीमत १० फीसदी काम होने पर उसकी मांग ४० फीसदी बढ़ जाएगी तो इसे Elastic demand कहा जायेगा |
Inelastic demand: इसका मतलब है कि किसी वस्तु या सेवा की कीमत में भिन्नता से मांग कम अनुपात में बढ़ेगी । उदाहरण के लिए,पेट्रोल के कीमत १० फीसदी बढ़ने पर भी मांग बस १-२ फीसदी ही घटती है ।
Unitary Elastic Demand : इसका मतलब है कि किसी वस्तु या सेवा की कीमत में भिन्नता से मांग उतने ही अनुपात में बढ़ेगी ।
जब हम डिमांड की बात करते हैं तो हमें निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए :
- डिमांड उस मात्रा को कहा जाता है जो उपभोक्ता खरीदना चाहते हैं और वह नहीं जो वह वास्तव में खरीदते हैं |
- डिमांड को हमेशा किसी मूल्य और किसी समय की अवधि के साथ जोड़कर देखा जाता है | उदाहरण के लिए अगर हम बोले कि किसी वस्तु की मांग 10000 टन होगी तो इसका कोई मतलब नहीं निकलता है | हम ऐसा कह सकते हैं कि जब किसी वस्तु की मूल्य ₹50 होगी तो उसकी मांग प्रति महीने 10000 टन होगी और उसका मूल्य और समय की अवधि बदलते ही उसकी मांग भी बदल जाएगी |
Determinants of Demand in Hindi
किसी भी वस्तु की मांग 5 वस्तुओं द्वारा निर्धारित होती है :
- मूल्य: वस्तुओं और सेवाओं की मांग उसके मूल्य के ठीक विपरीत दिशा में होती है । उद्धरण के लिए अगर किसी स्मार्टफोन की कीमत 10000 रुपयों से बढ़कर 15000 रुपय हो जाये तो कम लोग होंगे जो इसे खरीदना चाहेंगे या खरीद पाएंगे।
- उपभोक्ता की आय : यदि उपभोक्ता की आय की आय बढ़ती है तो उसके द्वारा खरीदी गयी वस्तुओं के मांग भी बढ़ेगी |
- संबंधित वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें : कोई २ वास्तु किन्ही २ प्रकार से सम्बंधित हो सकती है | ये या तो पूरक हैं, जिन्हें एक साथ उपयोग किया जाते है ( जैसे कार और पेट्रोल ) या ऐसे जिन्हे एक के स्थान पर दूसरे को ख़रीदा जाता है ( जैसे coca-cola और Pepsi ) |पहले मामले में अगर किसी एक वस्तु ( जैसे पेट्रोल ) की कीमत बढ़ने पर दूसरे वसतु ( कार ) के मांग में कमी आ सकती है |दूसरे मामले में पहले वस्तु ( जैसे coca-cola ) की कीमत बढ़ने पर दूसरे वसतु ( Pepsi ) के मांग में बढ़ोतरी हो सकती है |
- स्वाद या उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएं।
- उम्मीदें। अगर उपभोक्ताओं को ऐसा लगता है की किसी वस्तु की कीमत बढ़ जाएगी तो उसके मांग बढ़ने लगती है क्यूंकि लोग उसे अधिक मात्रा में खरीद कर रखना चाहते है |
Elasticity of Demand in Hindi
ऊपर दिए गए इन सभी कारकों में किसी वस्तु का मूल्य उसके मांग की सबसे महत्वूर्ण कारक है |किसी वस्तु के मूल्य में आने वाली बदलाव से उस वस्तु की मांग में कितने बदलाव आती है उसे ही Elasticity of Demand कही जाती है | मूल्य को ध्यान में रखते हुए मांग तीन प्रकार के हो सकते है :
Perfectly Elastic Demand : Perfectly Elastic Demand एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें मौजूदा कीमतों पर किसी वस्तु की मांग शून्य होते है लेकिन अगर वस्तु की कीमत में थोड़ी सी भी गिरावट आई तो वस्तु की मांग अनंत हो जाएगी | ऐसा असली दुनिया में देखने को नहीं मिलता लेकिन लेकिन यह केवल एक दृष्टिकोण प्रदान करता है |
Perfectly Inelastic Demand : Perfectly Inelastic Demand एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें किसी वस्तु की मांग उसके मूल्य के हिसाब से नहीं बदलती |
Elastic demand :: इसका मतलब है कि किसी वस्तु या सेवा की कीमत में थोड़ी सी भिन्नता से मांग अधिक अनुपात में बढ़ेगी । उदाहरण के लिए, अगर किसी कपडे की कीमत १० फीसदी काम होने पर उसकी मांग ४० फीसदी बढ़ जाएगी तो इसे Elastic demand कहा जायेगा |
Inelastic demand: इसका मतलब है कि किसी वस्तु या सेवा की कीमत में भिन्नता से मांग कम अनुपात में बढ़ेगी । उदाहरण के लिए,पेट्रोल के कीमत १० फीसदी बढ़ने पर भी मांग बस १-२ फीसदी ही घटती है ।
Unitary Elastic Demand : इसका मतलब है कि किसी वस्तु या सेवा की कीमत में भिन्नता से मांग उतने ही अनुपात में बढ़ेगी ।
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